मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने निर्धारित गुणवत्ता से पौधे लगाने और पर्यवेक्षण के दिए हैं निर्देश: वृक्षारोपण में अनियमितताएं, संबंधित अधिकारियों से 9.90 लाख रुपये की हुई वसूली
रायपुर। छत्तीसगढ़ में वन विभाग द्वारा किए गए वृक्षारोपण कार्यों में अनियमितताएं पाए जाने पर राज्य सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। विभाग के अधिकारियों द्वारा वृक्षारोपण कार्य में निर्धारित मापदंडों का पालन न करने और लापरवाही बरतने के मामले में असफल वृक्षारोपण पर हुए व्यय को शासन की वित्तीय क्षति माना है। कोरबा और राजनांदगांव वनमंडल के संबंधित अधिकारियों से इस अनियमितता के चलते 9 लाख 90 हजार 357 रुपये की वसूली की गई है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम को प्रदेश में सफल बनाने के लिए निर्धारित गुणवत्ता के साथ पौधे लगाने एवं उसके पर्यवेक्षण के निर्देश दिए गए हैं। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्य की जा रही है।
इस तारतम्य में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वनबल प्रमुख द्वारा वर्ष 2023-24 में विगत वर्षो के वृक्षारोपण में मूल्यांकन के आधार पर असफल वृक्षारोपण से शासन को हुई क्षति के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से राशि वसूली की गई है।
कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख छत्तीसगढ़ से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरबा वनमंडल के वनपरिक्षेत्र अधिकारी और राजनांदगांव वनमंडल में संबंधित अधिकारियों द्वारा वृक्षारोपण कार्य में लापरवाही बरती गई। इन मामलों में कुल 9 लाख 90 हजार 357 रुपये की वसूली की गई है। यह राशि उन अधिकारियों, कर्मचारियों और अन्य संबंधित व्यक्तियों से वसूली गई है।
जिन्हें वृक्षारोपण कार्य में अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार ठहराए गए हैं। कोरबा वनमंडल के तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी परसखेत योमनलाल ध्रुव से सौल्वा (ब) ऑरेंज एरिया कक्ष क्रमांक 1351 वृक्षारोपण में अनियमितता पाई गई, जिसके कारण उनसे 2 लाख 41 हजार 636 रुपये की वसूली की गई।
इसी तरह राजनांदगांव वनमंडल के तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी बाघनदी बलदाऊ प्रसाद चौबे से कक्ष क्रमांक- आर.एफ. 595 रोपण में हुई अनियमितता के लिए 5 लाख 19 हजार 300 रुपये की वसूली की गई। इसके अतिरिक्त वन मंडल कोरबा के तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक बाल्को श्री शमशुद्दीन फारूकी से 1 लाख 41 हजार 275 रुपये की वसूली की गई है।
वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि वन विभाग के कार्यों में पारदर्शिता और उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करना आवश्यक है, और इस दिशा में सरकार कोई समझौता नहीं करेगी। इस पूरे मामले के मद्देनजर वन विभाग के अधिकारियों को सतर्कता बरतने और योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता बनाए रखने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त है और वह इसे जड़ से खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।