तीन नए कानूनों के लागू होने से देश में न्याय व्यवस्था का एक नया युग शुरू हुआ है : राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू फिजी, न्यूजीलैंड और तिमोर-लेस्ते की राजकीय यात्रा के लिए दिल्ली से रवाना हुई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 05 से 10 अगस्त तक फिजी, न्यूजीलैंड और तिमोर-लेस्ते की यात्रा पर रहेंगी…
नईदिल्ली (ए)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के सम्मेलन का उद्घाटन किया। सम्मेलन में ऐसे कई विषयों पर चर्चा की जाएगी, जो न केवल केंद्र-राज्य संबंधों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि जन-साधारण के लिए कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रपति ने कहा कि इस सम्मेलन के एजेंडे में सावधानीपूर्वक चुने गए विषय शामिल हैं, जो हमारे राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में होने वाले विचार-विमर्श सभी प्रतिभागियों के लिए एक समृद्ध अनुभव होंगे और उनके कामकाज में सहायक होंगे।
उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यपालों की शपथ का उल्लेख किया और उनसे पिछले दशक के दौरान हुए सामाजिक कल्याण योजनाओं तथा अभूतपूर्व विकास के बारे में लोगों को जागरूक करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि आपराधिक न्याय से संबंधित तीन नए कानूनों के लागू होने से देश में न्याय व्यवस्था का एक नया युग शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारी सोच में बदलाव इन कानूनों के नामों से स्पष्ट है: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम। राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र के सुचारु संचालन के लिए यह जरूरी है कि विभिन्न केंद्रीय एजेंसियां सभी राज्यों में बेहतर समन्वय के साथ काम करें। उन्होंने राज्यपालों को सलाह दी कि वे इस बारे में सोचें कि वे संबंधित राज्यों के संवैधानिक प्रमुख के रूप में इस समन्वय को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा एक अमूर्त संपत्ति है, क्योंकि यह व्यक्तिगत विकास और सामाजिक परिवर्तन के साथ-साथ नवाचार तथा आर्थिक प्रगति को भी बढ़ावा देती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता और मूल्यांकन प्रणाली में सुधार पर जोर दिया गया है। उन्होंने राज्यपालों से राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में अपनी क्षमता में इस सुधार प्रक्रिया में योगदान देने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार गरीबों, सीमावर्ती क्षेत्रों, वंचित वर्गों और क्षेत्रों तथा विकास यात्रा में पीछे छूट गए लोगों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने बताया कि हमारी जनजातीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों में रहता है, और उन्होंने राज्यपालों से इन क्षेत्रों के लोगों के समावेशी विकास को प्राप्त करने के तरीके सुझाने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि यदि युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों में लगाया जाए तो ‘युवा विकास’ और ‘युवा-नेतृत्व विकास’ को और गति मिलेगी। ‘मेरा भारत’ अभियान इस उद्देश्य के लिए एक सुविचारित प्रणाली प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि राज्यपालों को इस अभियान से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक युवा लाभान्वित हो सकें।
एक भारत श्रेष्ठ भारत’ अभियान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों को एक-दूसरे को समझने और एक-दूसरे से जुड़ने का मौका मिला है। उन्होंने राज्यपालों से एकता की भावना को और मजबूत करने में योगदान देने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। राज्यपाल ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को बड़े पैमाने पर जन आंदोलन बनाकर इसमें योगदान दे सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर हम मिट्टी की उर्वरता और किसानों की आय बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राजभवन मिसाल कायम कर सकते हैं। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी राज्यपाल अपनी शपथ के अनुरूप जनता की सेवा और कल्याण में योगदान देते रहेंगे।
सम्मेलन में अलग-अलग सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिसमें राज्यपालों के उप-समूह प्रत्येक एजेंडा आइटम पर विचार-विमर्श करेंगे। राज्यपालों के अलावा, ऐसे सत्रों में केंद्रीय मंत्री और संबंधित मंत्रालयों के अधिकारी भी शामिल होंगे। उप-समूहों की टिप्पणियों और सुझावों को समापन सत्र के दौरान राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
छह दिवसीय विदेश दौरे पर हुई रवाना: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू फिजी, न्यूजीलैंड और तिमोर-लेस्ते की राजकीय यात्रा के लिए दिल्ली से रवाना हुई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 5 से 10 अगस्त तक फिजी, न्यूजीलैंड और तिमोर-लेस्ते की यात्रा पर रहेंगी। आठ और नौ अगस्त को न्यूजीलैंड की राजकीय यात्रा पर जाएंगी। यह आठ वर्षों के बाद भारत के किसी राष्ट्रपति की न्यूजीलैंड की पहली यात्रा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तीन देशों- फिजी, न्यूजीलैंड और तिमोर लेस्ते की यात्रा के लिए फिजी के नादी के लिए रवाना होंगी। इस यात्रा के दौरान वे द्विपक्षीय बैठकें करेंगी और प्रवासी भारतीयों के साथ बातचीत करेंगी।