किसी लड़की का सिर्फ एक बार पीछा करना उसके पीछे पड़ना नहीं माना जाएगा : हाईकोर्ट

यह फैसला 19 साल के दो आरोपियों द्वारा दायर अपीलों पर आया, जिन्होंने आईपीसी और पॉक्सो एक्ट के तहत विभिन्न अपराधों में अपनी सजा को चुनौती दी थी…
मुंबई (ए)। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि किसी लड़की का एक बार पीछा करना उसके पीछे पड़ना यानी ‘स्टॉकिंग’ नहीं माना जाएगा। यह घटना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354-डी के तहत पीछे पड़ने का अपराध नहीं माना जा सकता। अदालत ने जोर देकर कहा कि इस अपराध को तभी माना जा सकता है, जब किसी शख्स ने बार-बार या लगातार पीछा किया हो।
यह फैसला 19 साल के दो आरोपियों द्वारा दायर अपीलों पर आया, जिन्होंने आईपीसी और पॉक्सो एक्ट के तहत विभिन्न अपराधों में अपनी सजा को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने उनकी अपीलों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कुछ आरोपों से बरी कर दिया, लेकिन अन्य अपराधों के लिए सजा बरकरार रखी।
अपराध को साबित करने के लिए सबूतों की जरूरत
समीक्षा के बाद, उच्च न्यायालय ने पाया कि पीछा करने का आरोप केवल एक घटना पर आधारित था. जिसमें आरोपी ने लड़की का नदी तक पीछा किया था। न्यायमूर्ति सनप ने स्पष्ट किया कि धारा 354 (डी) के तहत पीछा करने के लिए बार-बार या लगातार किए गए कृत्यों के सबूत की आवश्यकता होती है।
किसे क्या सजा दी?
इसके साथ ही अदालत ने दूसरे आरोपी को सभी आरोपों से बरी कर दिया। इस पर घर के बाहर पहरा देने के अलावा कोई और आरोप नहीं था। वहीं, यौन उत्पीड़न के लिए आईपीसी की धारा 354 (ए) और यौन हमले के लिए पोक्सो अधिनियम की धारा 8 के तहत मुख्य आरोपी की सजा को बरकरार रखा। हालांकि, हाईकोर्ट ने मुख्य आरोपी की सजा को संशोधित किया, जिसमें उसकी कम उम्र और हिरासत में बिताए गए ढाई साल को ध्यान में रखा गया।



