स्वतंत्रता दिवस पर 11वीं बार पीएम मोदी की लाल किले से हुंकार, कहा- ‘जन-जन की सेवा हमारा संकल्प, जन-जन की सेवा से विकसित भारत बनाएंगे’

पीएम मोदी ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जल्द से जल्द जांच हो, राक्षसी काम करने वाले लोगों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो. समाज में विश्वास पैदा करने के लिए ये जरूरी है…

 

नईदिल्ली (ए)। लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा, ‘मेरे प्यारे देशवासियों, आज जो महानुभाव राष्ट्ररक्षा और राष्ट्रनिर्माण के लिए पूरी लगन और प्रतिबद्धता के साथ देश की रक्षा कर रहे हैं, ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। चाहे वे किसान हों, जवान हों, हमारे नौजवानों का हौसला हो, दलित हो पीड़ित हों, वंचित हों… लोकतंत्र के प्रति उसकी श्रद्धा पूरे विश्व के लिए एक प्रेरक घटना है। मैं आज ऐसे सभी को आदरपूर्वक नमन करता हूं।’

पीएम मोदी ने कहा, ‘हम जरा आजादी से पहले के वे दिन याद करें। सैकड़ों साल की गुलामी और कालखंड संघर्ष का रहा। युवा हो, बुजुर्ग हो, किसान हो, महिला हो, आदिवासी हो… वे गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे। 1857 से पहले भी कई आदिवासी क्षेत्रों में आजादी के लिए जंग लड़ी जा रही थी। गुलामी का इतना लंबा कालखंड, जुल्मी शासक, अपरंपार यातनाएं, सामान्य से सामान्य मानव का विश्वास तोड़ने की हर तरकीबें लेकिन इसके बावजूद भी उस समय की आबादी के हिसाब से 40 करोड़ देशवासियों ने वो जज्बा दिखाया, सामर्थ्य दिखाया, एक सपना लेकर चले, एक संकल्प लेकर चलते रहे। एक ही श्रद्धा था वंदेमातरम। एक ही सपना था आजादी का। हमें गर्व है वे हमारे पूर्वज थे। 40 करोड़ लोगों ने दुनिया की महासत्ता को उखाड़कर फेंक दिया था। गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर हमारे पूर्वज जिनका खून हमारी रगों में है, आज हम तो 140 करोड़ हैं। अगर 40 करोड़ लोग गुलामी की बेड़ियों को तोड़ सकते हैं, आजादी के सपने को पूर्ण कर सकते हैं तो 140 करोड़ मेरे परिवारजन अगर संकल्प लेकर चल पड़ते हैं, एक दिशा निर्धारित कर चल सकते हैं। कदम से कदम और कंधा से कंधा मिलाकर चल सकते हैं तब चुनौतियां कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अभाव की मात्रा कितनी ही तीव्र क्यों न हो, संसाधनों के लिए जूझने की नौबत हो तब भी हर चुनौती को पार करते हुए हम समृद्ध भारत बना सकते हैं। हम 2047 में विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। अगर 40 करोड़ देशवासी अपने पुरुषार्थ से आजादी दे सकते हैं तो 140 करोड़ देशवासी उसी भाव से समृद्ध भारत भी बना सकते हैं।

पीएम मोदी ने कहा, ‘देशवासियों का ये भरोसा सिर्फ इंटेलेक्चुअल डिबेट नहीं है, ये अनुभव से निकला है। ये विश्वास लंबे कालखंड के परिश्रम की पैदावार है। इसलिए देश का सामान्य नागरिक याद करता है कि जब लाल किले से कहा जाता है कि देश के 18 हजार गांवों में समयसीमा में बिजली पहुंचाएंगे और वो काम हो जाता है तब ये भरोसा मजबूत हो जाता है। जब ये तय होता है कि आजादी के इतने सालों के बाद भी ढाई करोड़ परिवार ऐसे हैं जहां बिजली नहीं है, अंधेरे में हैं, उन ढाई करोड़ घरों में बिजली पहुंच जाती है तो ये भरोसा बढ़ जाता है। जब लालकिले से स्वच्छ भारत की बात कही जाए तब देश की अग्रिम पंक्ति में बैठे लोग हों, गांव के लोग हों, गरीब बस्ती में रहने वाले लोग हों, हर परिवार में स्वच्छता का वातावरण बन जाए, चर्चा हो तब मैं समझता हूं कि ये भारत में आई हुई नई चेतना का प्रतिबिंब है।’

पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था जब लोग देश के लिए मरने के लिए प्रतिबद्ध थे और आजादी मिली थी। आज ये समय है देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता। अगर देश के लिए मरने की प्रतिबद्धता आजादी दिला सकती है तो देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता समृद्ध भारत भी बना सकती है। साथियो, विकसित भारत 2047 सिर्फ भाषण के शब्द नहीं हैं। इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है। देश के कोटि-कोटि जनों के सुझाव लिए जा रहे हैं और हमने देशवासियों से सुझाव मांगे। हमें प्रसन्नता है कि देश के करोड़ों नागरिकों ने विकसित भारत 2047 के लिए अनगिनत सुझाव दिए हैं। हर देशवासी का सपना, संकल्प इसमें प्रतिबिंबित हो रहा है। हर किसी ने 2047 में जब देश आजादी का 100 साल मनाएगा, तबतक विकसित भारत के लिए अनमोल सुझाव दिए हैं।

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में जहां विकसित भारत के संकल्प, बीजेपी सरकार के काम और अन्य चीजों पर बात की तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा पर बात करते हुए महिलाओं और बेटियों पर हो रहे अत्याचार पर दुख जताया।

पीएम मोदी ने कहा, “हमें गंभीरता से सोचना चाहिए. महिलाओं, बेटियों के प्रति अत्याचार हो रहे हैं. उसके प्रति आक्रोश है समाज में. इसे लेकर हमारी राज्य सरकारों को गंभीरता से लेना होगा. राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द सजा हो, जो समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है. अपराधियों में डर जरूरी है. सजा पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ चिंता की बातें भी हैं. मैं यहां से अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूं. एक समाज के नाते हमें ये सोचना होगा कि हमारी माता, बहनों और बेटियों के साथ जो अत्याचार हो रहे हैं. उसके प्रति लोगों में आक्रोश है. राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेना होगा. महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जल्द से जल्द जांच हो, राक्षसी काम करने वाले लोगों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो. समाज में विश्वास पैदा करने के लिए ये जरूरी है।

महिलाओं पर अत्याचार की जब घटनाएं होती हैं तो उसकी बहुत ज्यादा चर्चा होती है. मगर जब ऐसा करने वाले राक्षसी व्यक्ति को सजा होती है तो इसकी खबर कोने में नजर आती है. इस पर चर्चा नहीं होती है. अब समय की मांग है कि ऐसा करने वाले दोषियों की भी व्यापक चर्चा हो ताकि ऐसा पाप करने वालों को भी डर हो कि उन्हें फांसी पर लटकना पड़ेगा. मुझे लगता है कि ये डर पैदा करना जरूरी है।

पीएम ने अपने कार्यकाल में कानून में किए गए बदलावों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सदियों से हमारे पास जो क्रिमिनल लॉल थे, उन्हें हम न्याय संहिता के रूप में लाए हैं. इसके मूल में ‘दंड नहीं, नागरिक को न्याय’ के भाव को हमने प्रबल बनाया है. मैं हर स्तर पर सरकार के प्रतिनिधियों और जन-प्रतिनिधियों से आग्रह करता हूं कि हमें मिशन मोड में ईज ऑफ लिविंग के लिए कदम उठाने चाहिए।

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