सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे से पूछा सवाल- ‘बिना उचित सत्यापन के किसी को कैसे दी जा सकती है सरकारी नौकरी?’
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जाली दस्तावेजों के जरिए रेलवे में कुछ लोगों को नौकरी पर रखे जाने के मामले में पर आश्चर्य जताते हुए पूछा कि दस्तावेजों के उचित सत्यापन के बिना सरकारी नौकरी पर किसी को कैसे नियुक्त किया जा सकता है?
नईदिल्ली (ए)। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी और संजय करोल की पीठ ने पूर्वी रेलवे में अनुकंपा के आधार पर नियुक्त कुछ कर्मचारियों की सेवा समाप्ति से संबंधित मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि दस्तावेजों के उचित सत्यापन के बिना सरकारी नौकरी पर किसी को कैसे नियुक्त किया जा सकता है? शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि भारत के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक रेलवे में इस तरह के मामलों की जांच होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पाया कि उन सभी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया क्योंकि उनकी नियुक्ति फर्जी और फर्जी दस्तावेजों पर आधारित पाई गई। वहीं पीठ ने अपने फैसले में कहा, हालांकि इस मामले के तथ्यों को देखते हुए, हम अपीलकर्ता-नियोक्ता के कार्यों पर आश्चर्य व्यक्त करते हैं, जिन्होंने प्रतिवादी-कर्मचारियों को संदिग्ध दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त किया था, जो बाद में जाली, मनगढ़ंत और फर्जी पाए गए।
यह पीठ कलकत्ता उच्च न्यायालय के अगस्त 2012 के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र की अपीलों पर विचार कर रही थी, जिसमें केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, कलकत्ता पीठ की तरफ से पारित आदेश को पलट दिया गया था। और इन कर्मचारियों ने बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया था। न्यायाधिकरण ने उनके आवेदनों को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया था।