शारीरिक संबंध से इन्कार का सिलसिला लंबा तो ही मानेंगे क्रूरता, तभी मिलेगी तलाक: हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने कहा, लंबे समय तक इन्कार का सिलसिला जारी रहे तो ही इसे क्रूरता माना जाएगा और तलाक देना संभव होगा। कोर्ट में पत्नी ने दलील थी कि रिश्ते रखकर ही वह दो बच्चों की मां बनी है…

 

प्रयागराज (ए)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी के नौ साल बाद पत्नी के शारीरिक संबंध बनाने से इन्कार करने के आधार पर तलाक की मांग करने वाले मिर्जापुर के डॉक्टर पति की अपील खारिज कर दी। कहा, लंबे समय तक इन्कार का सिलसिला जारी रहे तो ही इसे क्रूरता माना जाएगा और तलाक देना संभव होगा। कोर्ट में पत्नी ने दलील थी कि रिश्ते रखकर ही वह दो बच्चों की मां बनी है।

न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति दोनादी रमेश की खंडपीठ ने कहा कि पति-पत्नी के बीच शारीरिक अंतरंगता की प्रकृति तय करना अदालत का काम नहीं है। आपसी संबंधों से इन्कार का सिलसिला लगातार जारी है अथवा नहीं, यह साबित करने का जिम्मा पक्षकारों का है।

मिर्जापुर निवासी डॉक्टर दिल्ली में प्रैक्टिस करते हैं, जबकि उनकी डॉक्टर पत्नी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुकी हैं। उनकी शादी 1999 में हुई थी। इनके दो बच्चे हैं, जिनमें एक मां तो दूसरा पिता के साथ रह रहा है। पति ने शादी के नौ साल बाद 2008 में शारीरिक रिश्ते रखने से इन्कार को आधार बनाते हुए पारिवारिक न्यायालय में तलाक की अर्जी दाखिल की।

पति ने आरोप लगाया था कि एक धर्मगुरु के बहकावे में आकर पत्नी ने उनसे दूरी बना ली है। पत्नी ने आरोपों को सिरे से नकार दिया। कहा, इसी संबंध के कारण वह आज दो बच्चों की मां हैं। इससे सिद्ध होता है कि उनके बीच दूरियां कभी थीं ही नहीं। इन दलीलों से संतुष्ट पारिवारिक न्यायालय ने पति की अर्जी खारिज कर दी थी।

पति ने अपील की थी, लेकिन वह यह साबित नहीं कर पाया कि लंबे समय तक उसके पत्नी से संबंध नहीं रहे।

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