‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल को मोदी कैबिनेट की मंजूरी, जल्द ही हो सकता है संसद में पेश?

एक देश, एक चुनाव के विधेयक को गुरुवार को मोदी सरकार ने कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी है. मिली जानकारी के अनुसार  अब सरकार इस बिल को सदन के पटल पर रख सकती है. ये विधेयक अगले सप्ताह इसी शीतकालीन सत्र में लाए जाने की संभावना है…

 

नईदिल्ली (ए)। एक देश, एक चुनाव के विधेयक को गुरुवार को मोदी सरकार ने कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी है. मिली जानकारी के अनुसार  अब सरकार इस बिल को सदन के पटल पर रख सकती है. ये विधेयक अगले सप्ताह इसी शीतकालीन सत्र में लाए जाने की संभावना है।

सबसे पहले जेपीसी की कमेटी का गठन किया जाएगा और सभी दलों के सुझाव लिए जाएंगे. अंत में यह विधेयक संसद में बिल लाया जाएगा और इसे पास करवाया जाएगा. इससे पहले रामनाथ कोविंद की कमेटी ने सरकार को एक देश, एक चुनाव से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

लंबी चर्चा और आम सहमति बनाने के लिए सरकार इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने की योजना बना रही है. जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा करेगी और इस प्रस्ताव पर सामूहिक सहमति की जरूरत पर जोर देगी।

देश में अभी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं. यह विधेयक कानून बनने के बाद देश में एक साथ चुनाव कराए जाने की तैयारी है. हालांकि, इस सरकार के इस कदम का कांग्रेस और AAP जैसी कई इंडिया ब्लॉक की पार्टियों ने विरोध किया है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इससे केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा होगा. नीतीश कुमार की जेडी(यू) और चिराग पासवान जैसे प्रमुख NDA सहयोगियों ने एक साथ चुनाव कराए जाने का समर्थन किया है।

सभी राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों को बुद्धिजीवियों, विशेषज्ञों और सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ अपने विचार साझा करने के लिए कहा जाएगा. इसके अतिरिक्त, आम जनता से भी सुझाव मांगे जाएंगे, जो निर्णय लेने की प्रक्रिया में समावेशिता और पारदर्शिता को बढ़ाएंगे. विधेयक के प्रमुख पहलुओं में इसके लाभ और देशभर में एक साथ चुनाव कराने के लिए जरूरी कार्यप्रणाली पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

संभावित चुनौतियों का समाधान किया जाएगा और विविध दृष्टिकोणों को एकत्रित किया जाएगा. ‘एक देश, एक चुनाव’ को बार-बार होने वाले चुनावों से जुड़ी लागत और व्यवधानों को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में देखा जा रहा है।

हालांकि सरकार चाहती है कि इस विधेयक को लेकर व्यापक समर्थन हासिल किया जाए. हालांकि, इस प्रस्ताव पर राजनीतिक बहस भी बढ़ सकती है. विपक्षी दल इसकी व्यवहार्यता के बारे में सवाल उठा सकते हैं।

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