भिलाई में भारतीय रेलवे का सबसे बड़ा सोलर प्लांट स्थापित: 5451 किलोवाट रूफटॉप सोलर प्लांट में प्रति माह 3.8 लाख यूनिट बिजली हो रही पैदा

भिलाई। कहते है ऊर्जा की बचत ही ऊर्जा की बढ़त है इसलिए ऊर्जा का संरक्षण बहुत ही जरूरी है। रेलवे एक विशाल संगठन होने के नाते यहां ऊर्जा का इस्तेमाल एक बड़े स्तर पर किया जाता है इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि ऊर्जा कि खपत संतुलित रूप से कि जाए एवं जहां आवश्यक हो वहां ऊर्जा कि बचत भी की जाए। वर्तमान परिदृश्य में ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया में पर्यावरण को भी काफी नुकसान हो रहा है एवं आज पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को दूर करने के नये-नये उपाय ढूंढ रहा है। इसी कारण रेलवे जैसे वृहद संगठनो में भी ऊर्जा संरक्षण एवं गैर परंपरागत ऊर्जा के स्त्रोतों का अधिकाधिक उपयोग जरूरी हो गया है।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में बिलासपुर, रायपुर और नागपुर मंडल हैं जो सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना करके, ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ईसीबीसी) मानदंडों का अनुपालन करते हुए नई इमारतों का निर्माण करके हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से शामिल हैं।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने रेलवे प्लेटफार्मों, सेवा भवनों, रखरखाव शेड/दुकानों आदि की उपलब्ध छतों का उपयोग करके रूफटॉप सोलर प्लांट स्थापित करने में बहुत बड़ा काम किया है ।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने 2010-11 में 5 किलोवाट प्लांट के प्रावधान के साथ शुरुआत की और अब तक 5451 किलोवाट रूफटॉप सोलर प्लांट स्थापित किए हैं । ये प्लांट प्रति माह 3.8 लाख यूनिट बिजली पैदा कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्रति माह ₹ 10.1 लाख की बचत हो रही है, जो प्रति माह 315.2 टन CO2 फुटप्रिंट की कमी के बराबर है।

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने भिलाई में भारतीय रेलवे का सबसे बड़ा सोलर प्लांट स्थापित किया है जिसकी क्षमता 50 मेगावाट है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने दिनांक 24 फरवरी, 2024 को इस प्लांट को राष्ट्र को समर्पित किया है। उत्पादित सौर ऊर्जा को सीधे 220 केवी पी.जी.सी.आई.एल. सबस्टेशन (कुम्हारी में) में भेजा जाता है और ट्रैक्शन उपयोग के लिए उत्तर पूर्व रेलवे (उत्तर प्रदेश) और दक्षिण पश्चिम रेलवे (कर्नाटक) को भेजा जाता है।

यह प्लांट प्रति माह 69.6 लाख यूनिट बिजली पैदा कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ₹139.1 लाख की बचत हो रही है और प्रति माह 5690.5 टन CO2 उत्सर्जन में कमी आ रही है ।

इसके अलावा, ₹34.6 करोड़ की अनुमानित लागत से 7.8 मेगावाट के सौर संयंत्रों की स्थापना के लिए कार्य स्वीकृति के अग्रिम चरण में हैं। इसका उद्देश्य राष्ट्र के विकास में योगदान देने के लिए सौर ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए उपलब्ध स्थान के हर इंच का उपयोग करना है।

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