दीपावली पर मिला अर्थव्यवस्था का बूस्टर: 4.25 लाख करोड़ रुपये की हुई खरीदारी, अब शादियों के सीजन पर नजर

कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री और दिल्ली की चांदनी चौक सीट से भाजपा के लोकसभा सांसद प्रवीण खंडेलवाल के इस दावे के मुताबिक, भारतीय उत्पाद-सबका उस्ताद’ ने दीवाली पर जबरदस्त धूम मचाई है। इसे ग्राहकों का खूब समर्थन मिला है। अब 12 नवम्बर से प्रारंभ होने वाले शादियों के सीजन पर व्यापारियों की निगाहें टिकी हैं…

 

नईदिल्ली (ए)। त्योहारी सीजन से देश की अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिल रहा है। इससे पहले नवरात्रों के दौरान मात्र दस दिन में लगभग 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने का अनुमान जताया गया था, अब दीवाली पर 4.25 लाख करोड़ रुपये के सामान की खरीदारी की बात कही गई है।कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री और दिल्ली की चांदनी चौक सीट से भाजपा के लोकसभा सांसद प्रवीण खंडेलवाल के इस दावे के मुताबिक, भारतीय उत्पाद-सबका उस्ताद’ ने दीवाली पर जबरदस्त धूम मचाई है। इसे ग्राहकों का खूब समर्थन मिला है। अब 12 नवम्बर से प्रारंभ होने वाले शादियों के सीजन पर व्यापारियों की निगाहें टिकी हैं।

खंडेलवाल ने बताया, देश के लगभग हर कौने में दीवाली का पर्व बेहद उत्साह, उमंग और उल्लास के साथ मनाया गया। लोगों ने जमकर दीवाली की खरीदारी की। अयोध्या में श्री राम का मंदिर बनने के बाद देश में यह पहली दीपावली है, इसके चलते भी लोगों में अधिक उत्साह देखने को मिला। बड़े कारोबारियों के साथ साथ छोटा व्यापार करने वाले लोग जैसे कुम्हार, कारीगर एवं घरों में दीवाली का सामान बनाने वाले लोगों ने भी बड़े पैमाने पर अपने सामान की बिक्री की है। लोगों ने छोटे व्यापारियों को एक बड़ा बूस्ट प्रदान किया है। हर साल की भांति इस दीवाली पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान के तहत भारतीय सामान की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।

मिट्टी के दीये, भगवान की मूर्तियों, घर सजावट का सामान, वंदनवार, फूल-पत्तियां, फल एवं पूजा का सामान, बिजली की रंगबिरंगी लड़ियां, मिठाई एवं नमकीन, कपड़े, हैंडिक्राफ़्ट आइटम्स, उपहार की वस्तुओं, फुटवियर, मेकअप का सामान, कॉस्मेटिक्स, सोने चाँदी के आभूषण व दूसरा सामान और अन्य घरेलू उत्पादों की भारी मांग रही।

इससे स्थानीय व्यापारियों और कारीगरों को काफी लाभ मिला है। इस दीवाली पर 4.25 लाख करोड़ रुपये के सामान की बिक्री, यह अभी तक का एक रिकॉर्ड व्यापार है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने बताया, एक मोटे अनुमान के अनुसार 4.25 लाख करोड़ रुपये के त्योहारों के व्यापार में लगभग 13% खाद्य एवं किराना में, 9% ज्वेलरी में, 12% वस्त्र एवं गारमेंट, 4% ड्राई फ्रूट, मिठाई एवं नमकीन, 3% घर की साज सज्जा, 6% कास्मेटिक्स, 8% इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मोबाइल, 3% पूजन सामग्री एवं पूजा वस्तुओं, 3% बर्तन तथा रसोई उपकरण, 2% कॉन्फ़ेक्शनरी एवं बेकरी, 8% गिफ्ट आइटम्स, 4% फ़र्निशिंग एवं फर्नीचर एवं शेष 20% ऑटोमोबाइल, हार्डवेयर, इलेक्ट्रिकल, खिलौने सहित अन्य अनेक वस्तुओं एवं सेवाओं पर ग्राहकों द्वारा खर्च किया गया है। पैकिंग कारोबार को भी एक बड़ा बाजार मिला है।

कैट के पदाधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दीवाली पर लोकल बनी वस्तुएं खरीदने का आह्वान किया गया था। इसका प्रभाव पूरे देश में दिखाई दिया है। देश के सभी शहरों के स्थानीय निर्माताओं, कारीगरों एवं कलाकारों द्वारा बनाए गए उत्पादों की भारी मात्रा में बिक्री हुई है। इससे आत्मनिर्भर भारत की एक विशिष्ट झांकी देखने को मिली है। भरतिया एवं खंडेलवाल ने बताया, इस साल भी लोगों ने चीनी उत्पादों को नकारते हुए पूरी तरह से भारतीय सामान को प्राथमिकता दी है। इससे व्यापारी उत्साहित हैं। व्यापारियों को अब देवउठनी एकादशी 12 नवंबर से शुरू होने वाले शादियों के सीजन में बड़े व्यापार की उम्मीद हैं।

लोगों ने इस दीवाली पर स्थानीय उत्पाद खरीद कर देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में योगदान दिया है। ये बात फिर से सिद्ध हो गई है कि त्योहार, भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा और अभिन्न हिस्सा हैं। नवरात्र के त्योहार में भी अर्थव्यवस्था में अच्छा खासा उछाल देखने को मिला था। दिल्ली सहित देश भर में नवरात्र एवं रामलीला, डांडिया और गरबा उत्सवों से 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार हुआ था।

दिल्ली में ही लगभग 5 हजार करोड़ रुपये का व्यापार होने की बात कही गई है। खंडेलवाल के मुताबिक, नवरात्र ,रामलीला, गरबा तथा डांडिया जैसे उत्सव, जो हर वर्ष देश भर में दस दिन तक मनाए जाते हैं, इनके चलते इस बार देशभर में व्यापारिक गतिविधियों को खासा बढ़ावा मिला है। इन उत्सवों के दौरान बाजारों में रौनक बढ़ जाती है। जहां एक तरफ व्यापारियों को काफी फायदा होता है तो वहीं दूसरी ओर, लाखों लोगों को अस्थायी रोजगार भी मिलता है।

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