गणेश चतुर्थी पर 100 साल बाद बना रहा महासंयोग, इस शुभ मुहूर्त में गणपति बप्पा की करें स्थापना

गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी, इस दिन ग्रह-नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है जो कुछ राशियों के लिए शुभ फलदायी साबित होगा. जानें किन राशियों पर बरसेगी गणेश जी की कृपा…

 

नईदिल्ली (ए)। भाद्रपद मास के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी का महत्‍व पौराणिक मान्‍यताओं में सबसे खास माना गया है. इस दिन गणपति जी का धरती पर आगमन होता है. बप्पा भक्तों के कष्टों को दूर करने के लिए 10 दिन तक पृथ्वी पर वास करते हैं।गणेश उत्सव की शुरुआत 7 सितंबर 2024 से हो रही है और इसका समापन 17 सितंबर 2024 को होगा. गणेश चतुर्थी पर इस बार 100 साल बाद बेहद शुभ संयोग बन रहा है. विघ्नहर्ता बप्पा आपके सारे कष्ट हर लेंगे. गणेश जी को रिद्धि, सिद्धि, बुद्धि और ज्ञान का देवता कहा जाता है इनका आशीर्वाद हो तो करियर, धन, समृद्धि का लाभ मिलता है।

गणेश चतुर्थी पर 100 साल बाद अद्भुत संयोग: गणेश चतुर्थी पर बप्पा का आगमन सर्वार्थ सिद्धि, ब्रह्म योग, इंद्र योग में होगा. साथ ही इस दिन स्वाति और चित्रा नक्षत्र का संयोग बनेगा. ये त्योहार 10 दिन तक चलता है फिर अनंत चतुर्दशी पर बप्पा की विदाई होती है. गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है

मान्यता है कि गणेश चतुर्थी पर माता पार्वती और शंकर जी के पुत्र गणेश जी का जन्म हुआ था. इस दिन घर में गणेश जी को विराजित करने से सालभर सुख, बरकत प्राप्त होती है।

पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर 2024 को दोपहर 03.01 से शुरू होकर 7 सितंबर को शाम 05.37 मिनट तक रहेगी।

हिंदू धर्म में उदयातिथि से व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं ऐसे में भादों की गणेश चतुर्थी 7 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी. इस दिन शुभ मुहूर्त में गणपति जी की स्थापना करें और विनायक चतुर्थी का व्रत करें।

गणेश चतुर्थी पर स्थापन मुहूर्त: गणेश चतुर्थी वाले दिन गणपति की स्थापना के लिए ढाई घंटे का शुभ मुहूर्त बन रहा है. बप्पा की स्थापना 7 सितंबर को सुबह 11.10 से दोपहर 1.39 के बीच कर लें।

गणेश चतुर्थी व्रत कैसे किया जाता है ?

  • भादों मास की गणेश चतुर्थी पर सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें।
  • अब घर में बप्पा के सामने फलाहार व्रत का संकल्प लें. शुभ मुहूर्त में पूजा की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर गणपति जी को स्थापित करें।
  • भगवान को गंगाजल से स्नान करवाएं, सिंदूर, चंदन का तिलक लगाएं. पीले फूलों की माला अर्पित करें।
  • मोदक का भोग लगाएं, देसी घी का दीपक जलाएं. गणेश जी के मंत्रों का जाप करें. आरती के बाद प्रसाद बांट दें।
  • शाम को फिर से गणेश जी की आरती करें और फिर भोग लगाएं. इसके बाद ही व्रत का पारण करें।

गणेश चतुर्थी के दिन इन मंत्रों का जप करने से मिलेगा लाभ 

  • ॐ गं गणपतये नमो नमः ।
  • ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ।
  • इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः।
  • ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

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