आज देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा जन्माष्टमी का पर्व: श्रीकृष्ण की पूजा का ये रहेगा सबसे शुभ मुहूर्त, यहां जानें विधि, समय और महत्व?

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन श्रीकृष्ण के बालस्वरूप की पूजा होती है. जानें पूजा मुहूर्त, विधि, महत्व और इससे जुड़ी विशेष बातें…

 

मथुरा (ए)। जन्माष्टमी का पर्व हर साल बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. जन्माष्टमी के पर्व को श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भक्त व्रत-रखकर पूजा-पाठ करते हैं, घर और मंदिरों में कान्हा की झांकी तैयार की जाती है. मान्यता है कि जन्माष्टमी का व्रत-पूजन करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है, संतान को दीघार्यु का आशीर्वाद मिलता है और घर पर सुख-संपन्नता बनी रहती है।

पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होती है. धार्मिक कथाओं के अनुसार इसी तिथि में कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था. इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी सोमवार 26 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी।

अष्टमी तिथि का आरंभ 26 अगस्त तड़के 03 बजकर 39 मिनट पर लग जाएगी, जिसका समापन 27 अगस्त मध्यरात्रि 2 बजकर 19 मिनट पर होगा. ऐसे में 26 अगस्त को ही जन्माष्टी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन रात्रि 12:00 बजे से लेकर 12 बजकर 44 मिनट तक कान्हा के पूजन के लिए सबसे शुभ मुहूर्त रहेगा।

कृष्ण के जन्म होने के खुशी में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भक्त सुबह जल्दी स्नान कर व्रत का संकप्ल लेते हैं. कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं तो कुछ फलाहार करते हैं. इसके बाद रात्रि 12 बजे कृष्ण का जन्म होने के बाद पूजा-पाठ किए जाते हैं।

भगवान कृष्ण की नटखट लीलाओं से उन्हें कई नाम भी मिले. मैया यशोदा उन्हें कान्हा, कन्हैया, लल्ला, लाल जैसे नामों से पुकारती थीं. सखाओं के साथ माखन चुराने के कारण उनका एक नाम माखन चोर भी पड़ा. इसी के साथ उन्हें मुरलीधर, गिरिधर, वासुदेव, केशव, श्याम, माधव, द्वारकाधीश जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. द्वापर युग में जन्मे कृष्ण को उस युग के शक्तिशाली और सर्वश्रेष्ठ पुरुष, युगपुरुष, युगावतार का स्थान दिया था, जो युगों-युगों से भक्तों की आस्था का केंद्र रहे हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन अष्टमी तिथि 26 अगस्त, 2024 को सुबह 03:39 बजे लग जाएगी. अष्टमी तिथि की समाप्ति 27 अगस्त, 2024 को 02:19 बजे होगी।

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी: “श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव”
इस मंत्र में श्री कृष्ण को सदा अपनी रक्षा और भक्ति की प्राप्ति की प्रार्थना की जाती है।

अगर आप भी आज कान्हा के जन्मोत्सव की तैयारी कर रहे हैं तो आप इन साम्रगी को अपने घर जरुर लाए-
लड्डू गोपाल के नए वस्त्र, उनके श्रृंगार का सामान, नई बांसुरी, फल, फूल, प्रसाद का सामान जरुर खदीद लें।

जन्माष्टमी पर कान्हा को धनिया की पंजीरी का भोग लगाएं जाता है. इसे बाद में प्रसाद के रुप में लोगों में वितरण किया जाता है. इसे खाकर लोग अपने व्रत का पारण भी कर सकते हैं।

जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की पूजा में उनकी प्रिय चीजो का भोग लगाएं. कृष्ण को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर), धनिया की पंजीरी, खीरा, मखाने की खीर, माखन-मिश्री।

इस वर्ष जयंती योग में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस वर्ष जन्माष्टमी पर ठीक ऐसे ही योग और मुहूर्त रहेंगे, जैसा द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय था. इसे ही ज्योतिष में जयंती योग कहा जाता है।

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